गगनयान, ISRO
अमेरिका, सोवियत संघ और चीन के बाद धरती की निचली कक्षा में ऐस्ट्रोनॉट भेजने वाला चौथा देश बनेगा भारत।
NISAR, ISRO-NASA
हर 12 दिन में धरती की सतह और बर्फ में हो रहे मोशन को नापेगी सैटलाइट। (तस्वीर: nasa.gov)
अडवांस्ड रडार इमेजिंग से मिलेगी बर्फ की परतें, भूकंप-सुनामी जैसी आपदाओं पर जानकारी। (तस्वीर: nasa.gov)
Tianwen-2, चीन
धरती के करीब ऐस्टरॉइड 469219 Kamoʻoalewa से लाएगा सैंपल, धूमकेतु को करेगा स्टडी।
Artemis-II, NASA
Orion स्पेसक्राफ्ट में भेजे जाएंगे 4 ऐस्ट्रोनॉट। 10 दिन बिना लैंड किए लगाएंगे चांद का चक्कर। (तस्वीर: nasa.gov)
BepiColombo, ESA-JAXA
बुध (Mercury) की कक्षा में पहुंचेगा स्पेसक्राफ्ट, इतिहास में सिर्फ तीसरा होगा। (तस्वीर: ESA)
M3 Resilience, जापान
चांद की सतह पर भेजेगा लैंडर और माइक्रो-रोवर, मिट्टी को करेगा स्टडी, पानी से ऑक्सिजन, हाइड्रोजन बनाने की कोशिश।
TRACER, NASA
धरती के मैग्नेटोस्फीयर पर सौर हवाओं के असर को समझेगा, जो सैटलाइट्स और इलेक्ट्रॉनिक्स में करती हैं दखल। (तस्वीर: nasa.gov)
SPHEREx, NASA
नियर-इन्फ्रारेड लाइट पर आसमान का सर्वे करेगी ऑब्जर्वेटरी। 45 करोड़ गैलेक्सी और आकाशगंगा के 10 करोड़ सितारों पर कलेक्ट करेगी डेटा। (तस्वीर: nasa.gov)
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