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साल था 1872 और मार्च की 17 तारीख जब इटली के ऐस्ट्रॉनमर ऐनिबाले डि गासपारिस ने खोज की एक नए ऐस्टरॉइड यानी उल्कापिंड की।
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ऐनिबाले ने इसे ग्रीक गॉडेस साइकी का नाम दिया और क्योंकि यह खोजा जाने वाला 16वां ऐस्टरॉइड था, इसे कहा गया 16 साइकी।
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ये ऐस्टरॉइड इसलिए खास है क्योंकि इसमें बड़ी मात्रा में मेटल यानी धातु हो सकता है।
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वैज्ञानिकों का मानना है कि साइकी पर धातु, चट्टानों के साथ-साथ सिलिकेट भी हो सकता है, जो शीशे और रेत में मिलता है।
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फोर्ब्स के मुताबिक 16 साइकी की कीमत $10,000 क्वॉड्रिलियन हो सकती है।
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इस वजह से 16 साइकी को ‘गोल्डन ऐस्टरॉइड’ भी कहते हैं क्योंकि अगर इसका खनन हुआ तो धरती मालामाल हो सकती है।
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हालांकि, अभी तक इसे सीधे स्टडी नहीं किया गया है। इसलिए नासा का साइकी मिशन 2023 में इसे स्टडी करने निकल पड़ा है।
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इसकी बनावट के आधार पर पृथ्वी और सौर मंडल के दूसरे ग्रहों के बनने की कहानी को समझने की कोशिश की जाएगी।
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जेम्स वेब टेलिस्कोप के डेटा के मुताबिक इसकी सतह पर हाइड्रॉक्सिल मॉलिक्यूल यानी पानी के सबूत भी मिले हैं।
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इससे इशारा मिलता है कि हो सकता है 16 साइकी असल में हमारे सौरमंडल के बाहर से आया हो।
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