10 दिसंबर को मनाते हैं मानवाधिकार दिवस। साल 1948 में इस दिन मानवाधिकारों के यूनिवर्सल डेक्लरेशन को अपनाया गया था।
आइए जानते हैं इससे जुड़े Human Rights Economy के कॉन्सेप्ट को जिसे UN मानवाधिकार हाई कमिश्नर ने लॉन्च किया था।
ह्यूमन राइट्स इकॉनमी में इंसानों और धरती को आर्थिक फैसलों के केंद्र में रखा जाता है।
यहां साफ, स्वस्थ और सतत पर्यावरण कानून का हिस्सा होते हैं, न कि सिर्फ उम्मीदें।
इसमें बजट बनाते वक्त मानवाधिकारों का ध्यान रखा जाता है ताकि सामाजिक असामनता हो खत्म।
प्रोग्रेसिव टैक्स सिस्टम से सभी में बंटते हैं आर्थिक फायदे। GDP तक सीमित नहीं इकॉनमिक परफॉर्मेंस।
120 में से सिर्फ 31% देशों के पास इतना डेटा कि वे बजट के गरीबी पर असर को परख सकें।
वहीं, पारदर्शिता, जवाबदेही से समावेशी बनी इकॉनमी में नागरिक अपने टैक्स के सही इस्तेमाल को ट्रैक कर पाते हैं।
सिर्फ गरीबी नहीं, जेंडर, क्षेत्रीय, जातीय असामनता के खिलाफ भी उठाए जाते हैं कदम।
साल 2024 की थीम है 'हमारे अधिकार, हमारा भविष्य, अभी'।
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