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आंध्रप्रदेश का जोन्नागिरि गोल्ड माइन एक बार फिर से खूब चर्चा में है। दरअसल डेक्कन गोल्ड माइन्स लिमिटेड को जोन्नागिरि गोल्ड माइन चलाने की मंजूरी मिल गई है।
जोन्नागिरि गोल्ड माइन का इतिहास काफी रोचक है। पूर्वी धारवाड़ क्रेटन का हिस्सा जोन्नागिरी ग्रीनस्टोन बेल्ट का इतिहास सालों पुराना माना जाता है।
इसने पहली बार 1991 और 1994 के बीच विस्तृत जांच के लिए भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण का ध्यान आकर्षित किया।
इसके बाद इस साइट की खोज की गई, जिसमें सोने की खनन गतिविधियों के अवशेष मिले। आधिकारिक सर्वेक्षण के बाद, यह पाया गया कि खदान में पांच प्रमुख ब्लॉक हैं।
जिनमें सोने के खनिजीकरण की महत्वपूर्ण संभावना है। इनमें गवानीकोंडा, डोना वेस्ट, डोना ईस्ट, नॉर्थ और साउथ ब्लॉक शामिल हैं, जिनमें से डोना वेस्ट और ईस्ट ब्लॉक हैं।
इस सर्वेक्षण के बाद, यह पाया गया कि सोने वाली चट्टानें (गोल्ड रिजर्व) जोन्नागिरि क्षेत्र के दो ब्लॉकों में मौजूद हैं - डोना वेस्ट ब्लॉक और ईस्ट ब्लॉक।
पश्चिमी ब्लॉक में, सोना सिलिकिफाइड मेटाबेसाल्ट नामक चट्टान प्रकार में पाया जाता है। पूर्वी ब्लॉक में, मुख्य चट्टान ग्रैनोडायोराइट-टोनालाइट समूह से है।
डेक्कन गोल्ड माइन्स को सरकार से जोन्नागिरी गोल्ड माइन को चलाने की मंजूरी मिल गई है।
80 सालों में भारत में स्थापित होने वाली यह पहली सोने की खदान होगी। दावा किया जा रहा है कि पहले साल में 400 kg सोना निकाला जाएगा।
वहीं इसके बाद 750 kg सोना हर साल निकालने का भी दावा किया जा रहा है।
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