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Gold यानी सोने को सेफ हेवेन एसेट माना जाता है, यानी कि इसमें इन्वेस्ट किया गया पैसा आपके लिए कभी बेकार साबित नहीं होता है।
हालांकि वैज्ञानिकों ने एक ऐसा काम कर दिखाया है, जिसने सोने के फ्यूचर पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सोने को सीसे (Lead) से प्रयोगशाला में बनाया गया।
स्विट्जरलैंड में जेनेवा के पास CERN (यूरोपियन ऑर्गेनाइजेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च) में यह कारनामा किया गया, जिस पर दुनिया भर की निगाहें टिकी हैं।
लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर के रिसर्चर ने साबित कर दिया है कि गोल्ड को लैब में बनाया जा सकता है। आमतौर पर इन पार्टिकल्स में होने वाली टक्कर को ऑब्जर्व किया जाता है।
हालांकि, जब ये पार्टिकल्स टकराने की जगह एक दूसरे के बेहद करीब से गुजरते हैं तो पैदा होने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड की वजह से कई अजीबो-गरीब न्यूक्लियर रिऐक्शन होते हैं।
इतनी तेज स्पीड पर इनसे एक शक्तिशाली मैग्नेटिक फील्ड पैदा हुई जिससे फोटॉन के पल्स को भी ऑब्जर्व किया गया।
इस फोटॉन के न्यूक्लियस के साथ इंटरैक्ट करने पर न्यूट्रॉन्स और प्रोटॉन्स इजेक्ट होने लगे। तीन प्रोटॉन्स के निकलने पर जो नतीजा निकला वह था 79 अटॉमिक नंबर का गोल्ड यानी सोना।
इस प्रोसेस को न्यूक्लियर ट्रांसम्यूटेशन कहते हैं जब एक ऐटम का न्यूक्लियर इस तरह बदलता है कि वह दूसरा एलिमेंट या आइसोटोप बन जाता है।
रिसर्चर्स की टीम ने बताया है कि एक सेकंड में लेड पार्टिकल्स की टक्कर से सोने के 89 हजार न्यूक्लियाई बनाए जा सकते हैं।
हालांकि, अभी सीसे से पर्याप्त मात्रा में सोना बनाने में काफी वक्त लगेगा।
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