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15 अगस्त 1947 को देश अंग्रेजों के चंगुल से आजाद हुआ था और तब से पूरा भारत इस तारीख को स्वतंत्रता दिवस के रूप में सेलिब्रेट करता है।
लाल किले पर इस दिन प्रधानमंत्री तिरंगा फहराते हैं, इसके अलावा देश के कोने-कोने में स्कूलों से लेकर घरों तक लोग तिरंगा फहराकर आजादी का जश्न मनाते हैं।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि तिरंगा फहराने के कुछ कड़े नियम हैं, जो आपको हर हाल में पता होने चाहिए। 10 ऐसे नियम, जो आपको पता ही होने चाहिए।
तिरंगा पर ना हो कोई दाग
तिरंगा फहराने से पहले चेक कर लें कि यह कहीं से भी फटा या गंदा तो नहीं। तिरंगा साफ-सुथरा होना चाहिए।
किस मटीरियल का हो तिरंगा
ध्वाजारोहण के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला तिरंगा सूती, खादी या सिल्क के कपड़े का ही होना चाहिए।
तिरंगा के साइज का नियम
तिरंगा आयताकार में ही होना चाहिए, और इसकी लंबाई-चौड़ाई का अनुपात 3:2 का होना चाहिए।
कौन सा रंग कहां
तिरंगे में ऊपर केसरिया रंग, बीच में सफेद रंग और नीचे हरा रंग होता है, कभी भी केसरिया रंग को ऊपर रखकर तिरंगे को नहीं फहराया जा सकता है।
तिरंगा फहराने का समय
ध्वाजारोहण के समय को लेकर भी नियम था। तिरंगा सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले ही फहराया जा सकता था। हालांकि अब रात में तिरंगा फहराने की अनुमति है।
जमीन से ना छुए तिरंगा
तिरंगा कभी भी जमीन से छुआ हुआ नहीं होना चाहिए। तिरंगा फहराने से पहले इसे किसी भी हाल में जमीन पर ना रखें।
बिना किसी सरकारी आदेश के तिरंगे को आधा झुकाकर नहीं फहराना चाहिए।
तिरंगे को पानी में नहीं डुबोया जा सकता है, साथ ही इस पर कुछ लिखा भी नहीं होना चाहिए।
तिरंगे के साथ और कोई ध्वज अगर फहराया जा रहा है, तो इसका ध्यान रखना चाहिए कि वह तिरंगे की बराबरी में ना हो।
तिरंगे को विशिष्ट गणमान्य व्यक्तियों की गाड़ियों पर फहराया जा सकता है, लेकिन सामान्य उपयोग के लिए गाड़ियों के किनारों, ऊपर या पीछे नहीं।
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