कहीं गुलाल, कहीं फूल, कहीं राख…देश यूं मनाता है होली

13 मार्च 2025

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देशभर में 14 मार्च को होली के रंग बिखरते नजर आएंगे।

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यूं तो होली के साथ नाम जुड़ा है अबीर और गुलाल का…

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भारत के कई हिस्सों में ये दिन अलग तरह से मनाया जाता है।

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वृंदावन में फूलों वाली होली से लेकर बरसाने की लठमार होली के बारे में भी आपने सुना होगा।

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एक जगह ऐसी भी है जहां इस दिन दिवाली की तरह दीये जलाकर भी जश्न मनता है।

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हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में होती है सांगला होली जो फागुली त्योहार का हिस्सा होती है।

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काशी के मणिकर्णिका घाट पर राख और भस्म का खेल देखने दूर-दूर से लोग आते हैं।

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उत्तराखंड में तो बसंत पंचमी से होली तक चलता है शास्त्रीय और लोक गीत-संगीत का जश्न।

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बिहार में भी फगुआ गीत गाए जाते हैं। यहां रंगों से ही नहीं, धूल-कीचड़ से भी नहला डालते हैं।

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मणिपुर में याओशांग पर रंग भी होता है, कई दिन चलते हैं खेल-कूद और थबल चोंगबा नृत्य।

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इसे पश्चिम बंगाल, ओडिशा में डोल जात्रा या डोला, तो हरियाणा, राजस्थान में धुलेंडी कहते हैं।

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केरल की उकुली या मंजल कुली काफी मशहूर है जब कोंगणी समुदाय में हल्दी से होली होती हैं।

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महाराष्ट्र में इस दिन रंग पंचमी, गोवा में शिगमो फेस्टिवल, राजस्थान में मनती है शाही होली।

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