अंटार्कटिका के नीचे दबी खोई दुनिया के मिले सुराग

जुलाई 14, 2025

सभी तस्वीरें Shutterstock से ली गई हैं।

अंटार्कटिका के नीचे दबी हुई खोई दुनिया के सुराख मिले हैं, जिससे वैज्ञानिक भी हैरान हैं। ऐसा माना जा रहा है कि ये सुराग पृथ्वी के भूवैज्ञानिक इतिहास और जलवायु गतिशीलता के बारे में नई जानकारी देते हैं।

अंटार्कटिका का विशाल, बर्फीला विस्तार ऐसे रहस्यों को समेटे हुए है जो दुनिया भर के वैज्ञानिकों को लगातार जिज्ञासा बढ़ाता रहता है।

इसकी मोटी, जमी हुई सतह के नीचे प्राचीन भूवैज्ञानिक अजूबों का संसार छिपा है, जिसमें एक माउंटेन रेंज भी शामिल है, जिसकी अनुमानित आयु 50 करोड़ साल है।

यह असाधारण खोज इन छिपी हुई भू-आकृतियों और उन्हें ढकने वाली विशाल बर्फ की चादरों के बीच की जटिल गतिशीलता पर प्रकाश डालती है।

2,175 मील से भी ज्यादा फैले ट्रांसअंटार्कटिक पर्वतों ने लाखों सालों से अंटार्कटिक बर्फ की गति और मोटाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

जैसे-जैसे शोधकर्ता गहराई में जाते हैं, उन्हें पृथ्वी की पिछली जलवायु और भूवैज्ञानिक गतिविधियों की कहानियां उजागर होती रहती हैं।

दृष्टि से ओझल, ट्रांसअंटार्कटिक पर्वत दो भूगर्भीय रूप से भिन्न क्षेत्रों के बीच एक प्राकृतिक विभाजन का काम करते हैं।

पूर्व में एक अरब साल से भी अधिक पुराना एक स्थिर क्रेटन स्थित है, जो पश्चिम में एक्टिव रिफ्ट सिस्टम के बिल्कुल विपरीत है।

यह विभाजन समय के साथ महाद्वीप के विकास को आकार देने में महत्वपूर्ण रहा है। वैज्ञानिकों द्वारा विश्लेषित चट्टान के नमूनों से साबित होता है कि इन पहाड़ों ने खुद क्षरण और उत्थान के कई चक्र देखें हैं।

थर्मोक्रोनोलॉजी के जरिए शोधकर्ताओं ने इन भूवैज्ञानिक घटनाओं का तारीख निर्धारण किया है, और लगभग 30 करोड़ साल पूर्व हुई प्रमुख हिमनद घटनाओं से मेल खाने वाली तीव्र गतिविधि की अवधियों का पता लगाया है।

इन प्राचीन संरचनाओं की स्टडी उन गतिशील प्रक्रियाओं की एक झलक है, जिन्होंने अंटार्कटिका के भूदृश्य को आकार दिया है, और इस जमे हुए महाद्वीप के अतीत और भविष्य के बारे काफी कुछ बताता है।

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