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भारत के चंद्रयान 3 से मिले डेटा में चांद की सतह के नीचे अभी तक की जानकारी से भी ज्यादा बर्फ होने के संकेत मिले थे।
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अब भारत तैयार है चंद्रयान-4 मिशन के लिए जब चांद को समझने के सिलसिले में एक कड़ी और जुड़ जाएगी।
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भारत चांद पर इंसान भेजना चाहता है और इसके पहले चंद्रयान-4 वहां जरूरी टेक्नॉलजी टेस्ट करेगा।
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इस बार न सिर्फ चांद पर सफल लैंडिंग का लक्ष्य होगा बल्कि डॉकिंग और अनडॉकिंग टेक्नॉलजी भी टेस्ट होगी।
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इस मिशन में दो लॉन्च वीइकल 5 हिस्सों को लेकर जाएंगे। ये मॉड्यूल धरती की कक्षा में पहले डॉकिंग करेंगे और फिर चांद की ओर बढ़ेंगे।
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चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद मॉड्यूल अलग हो जाएंगे। डिसेंडर सैंपल जमा करेगा जबकि असेंडर डॉक पर वापस आ जाएगा।
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रिटर्न मॉड्यूल धरती पर वापसी के सफर की तैयारी करेगा। इस तरह इंसानों के जाने के पहले ये रिहर्सल की जाएगी।
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डॉकिंग-अनडॉकिंग की ये टेक्नॉलजी न सिर्फ चांद पर बल्कि भविष्य में दूसरे स्पेस मिशन्स पर भी काम आएगी।
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इसका लॉन्च करीब दो साल बाद 2027 में होने की उम्मीद है। इसमें सफलता से भारत ग्लोबल स्पेस रेस में एक कदम आगे बढ़ा लेगा।
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