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सौर मंडल के केंद्र और पृथ्वी के सबसे नजदीकी सितारे सूर्य को स्टडी करने के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिक जुटे रहते हैं।
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सूरज से निकलने वाली एनर्जी और मैटर का धरती पर गहरा असर होता है। इसलिए इसकी स्टडी बेहद जरूरी और रोमांचक होती है।
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यहां नजर डालते हैं अलग-अलग स्पेस एजेंसीज के सोलर स्पेस मिशन्स पर-
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NASA ने 4 छोटी सैटलाइट के एक ग्रुप को सूरज के बाहरी वायुमंडल, कोरोना को स्टडी करने के लिए भेजा है।
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PUNCH यानी पोलरीमीटर टू यूनिफाई कोरोना ऐंड हीलियोस्फीयर यह स्टडी करेगा कि कैसे कोरोना सौर तूफान में तब्दील हो जाता है।
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PUNCH के पहले NASA का Parker Solar Probe सूरज के कोरोना और सौर तूफान को स्टडी कर रहा है।
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यह 2024 में सूरज की सतह के 6.1 किमी पास तक पहुंच गया था और ऐसा करने वाला पहला आर्टिफिशल ऑब्जेक्ट बना था।
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NASA की ही सोलर डायनैमिक्स ऑब्जर्वेटरी (SDO) सूरज की ऐक्टिविटी के स्पेस के मौसम पर असर को स्टडी कर रही है।
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NASA की ही सोलर टेरेस्ट्रियल रिलेशन्स ऑब्जर्वेटरी (STEREO) सूरज से पृथ्वी तक एनर्जी और मैटर के फ्लो को स्टडी करती है।
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यूरोपियन स्पेस एजेंसी, ESA का सोलर ऑर्बिटर सूरज की 11 साल की मैग्नेटिक ऐक्टिविटी साइकल को स्टडी कर रहा है।
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सोलर ऑर्बिटर यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि आखिर कोरोना का तापमान इतने लाख डिग्री सेल्सियस कैसे है?
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ESA का ही Proba 3 मिशन अपने दो स्पेसक्राफ्ट्स के जरिए एक कोरोनाग्राफ बनाएगा जिससे सूरज के वायुमंडल की अंदरूनी सतह को स्टडी किया जाएगा।
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NASA-ESA ने मिलकर SOHO लॉन्च किया था जो L1 पॉइंट से स्पेस वेदर पर रियल टाइम सोलर डेटा पहुंचा रहा है।
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इसी L1 पॉइंट यानी Lagrange Point पर ही हेलो ऑर्बिट में स्थित है भारत का पहला सोलर स्पेस मिशन Aditya L1 जिसे 2023 में लॉन्च किया गया था।
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Aditya L1 मिशन सूर्य के वायुमंडल को स्टडी करेगा और सोलर मैग्नेटिक तूफानों के धरती पर असर को समझने की कोशिश करेगा।
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