सभी तस्वीरें: rsis.ramsar.org
साल 1971 में ईरान के रामसार शहर में कई देशों की सरकारों और पर्यावरण संगठनों ने मिलकर तैयार किया रामसार कन्वेन्शन।
इसके तहत मुहिम छेड़ी गई दुनियाभर में फैले वेटलैंड्स यानी दलदली या आर्द्रभूमि के संरक्षण की।
ऐसे इलाके जहां पानी की गहराई 6 मीटर से कम हो और जो किसी जानवर, पक्षी, मछली या पौधे के जीवन के लिए अहम हो, उन्हें रामसार साइट का दर्जा दिया जाता है।
रामसार साइट घोषित होने के बाद उस इलाके पर ग्लोबल फोकस होने से संरक्षण की कवायद बढ़ जाती है, साथ ही सपॉर्ट भी मिलता है।
साल 1975 में लागू हुए इस कन्वेन्शन के तहत भारत की दो साइट्स को 1981 में जगह मिली थी-
- केवलादेव नेशनल पार्क, राजस्थान
- चिलिका झील, ओडिशा
भारत में मई 2025 तक 89 रामसार कन्वेन्शन साइट्स हैं। यहां एक नजर डालते हैं सबसे हाल में घोषित की गईं 7 साइट्स पर जिनमें से एक भारत के उत्तरपूर्वी राज्य में है...
राज्य: तमिलनाडु
खासियत: पक्षी अभ्यारण्य; खारे पानी की झील, गम ऐरेबिक पेड़, स्पॉट बिल्ड पेलिकन, इंडियन स्टार कछुए का घर।
राज्य: तमिलनाडु
खासियत: पक्षी अभ्यारण्य; मीठे पानी की आर्टिफिशल झील, गम ऐरेबिक पेड़ों के लिए मशहूर। अरब सागर में गिरने वाली भरतपुड़ा नदी की सहायक नल्लार नदी से लेती है पानी।
राज्य: मध्य प्रदेश
खासियत: सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के अंदर आने वाली मीठे पानी की आर्टिफिशल झील, इंडियन जायंट स्क्विरल या इंद्रधनुषी गिलहरी, माहसीर मछली का घर।
राज्य: तमिलनाडु
खासियत: पक्षी अभ्यारण्य; वैगई नदी की सहायक नदियों से पानी लेने वाली झील पलायन करने वाली पक्षियों के सेंट्रल एशियन फ्लाइवे के रास्ते में आती है।
राज्य: तमिलनाडु
खासियत: पक्षी अभ्यारण्य; मिस्र के गिद्ध और भारतीय स्पॉटेड ईगल का घर यह प्राकृतिक झील पलायन करके आने वाले पक्षियों के लिए ब्रीडिंग साइट है।
राज्य: सिक्किम
खासियत: पवित्र मानी जाने वाली झील बेयर्स पोचर्ड, रेड पांडा और हिमालय के काले भालू के लिए जरूरी झील ओक, चेस्टनट के पेड़ों से घिरी है।
राज्य: झारखंड
खासियत: गंगा नदी से जुड़ी राजमहल पहाड़ियों पर बनी प्राकृतिक झील, बैंड टेल्ड फिश ईगल, कॉमन पोचर्ड और छोटे गरुण के लिए जरूरी।
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