तस्वीर: NASA/JPL-Caltech
नासा, इसरो जैसी एजेंसियों से लेकर स्पेसएक्स जैसी निजी कंपनियां तक मंगल ग्रह पर जीवन की खोज में जुटी हैं।
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मंगल पर इंसानों को भेजने की तैयारी के पहले वहां के वायुमंडल को स्टडी किया जा रहा है।
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इसी कड़ी में साल 2021 में लॉन्च हुआ नासा का Perseverance रोवर माइक्रोब्स, क्लाइमेट को समझने में लगा है।
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इस रोवर के साथ मंगल ग्रह पर एक अहम हिस्सा गया है स्पेससूट के मटीरियल के 5 सैंपल्स का।
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ऐस्ट्रोनॉट जब मंगल पर उतरेंगे तो स्पेससूट पूरी तरह सुरक्षित हों, यही जानने के लिए ये सैंपल टेस्ट हो रहे हैं।
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Perseverance के साथ पॉलीकॉर्बोनेट, वेक्ट्रन, ऑर्थो-फैब्रिक, टेफलॉन और कोटेड टेफलॉन के सैंपल गए हैं।
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चार साल तक मंगल की धूल, रेडिएशन का सामना करने के बाद यह समझा जा रहा है कि कौन से मटीरियल का सूट लंबे वक्त तक चलेगा।
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दरअसल, मंगल के हालात धरती से एकदम अलग हैं। वहां तापमान बेहद कम और स्पेससूट पर चिपके रहने वाली धूल है।
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पृथ्वी की तुलना में एक बड़ा अंतर मैग्नेटिक फील्ड की गैर-मौजूदगी के कारण सोलर रेडिएशन का खतरा है।
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इन फैक्टर्स को ध्यान में रखते हुए Perseverance के साथ गए सैंपल्स पर अब तक मंगल के असर को डीटेल में स्टडी किया जाएगा।
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