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भारत में ₹10 लाख से ज्यादा की कीमत की लग्जरी चीजों जैसे घड़ियों, हैंडबैग, पेंटिंग्स आदि पर 1% TCS लगेगा।
TCS (Tax Collected at Source) यानी स्रोत पर एकत्रित किया गया कर और TDS (Tax Deducted at Source) यानी स्रोत पर काटा गया कर एक जैसा ही लगता है…
लेकिन दोनों के बीच में कई अंतर हैं, जिन्हें यहां समझने की कोशिश करते हैं-
जब कोई भुगतान करते वक्त उस पर लगने वाले टैक्स को कुल राशि में से काटकर भुगतान किया जाता है तो उसे TDS कहते हैं।
वेतन, प्रोफेशनल फी, ब्रोकरेज, किराये जैसे भुगतान पर काटे गए टैक्स को पेमेंट करने वाला सरकार के पास जमा कराता है।
TDS से उलट, TCS किसी सामान के मूल्य के ऊपर अतिरिक्त राशि के तौर पर लगाया जाता है।
सामान की बिक्री करने वाला TCS जोड़कर बिल तैयार करता है और टैक्स अमाउंट सरकार के पास जमा करता है।
TDS और TCS, दोनों ही प्रत्यक्ष कर यानी इनडायरेक्ट टैक्स के दायरे में आते हैं।
इनके जरिए आमदनी को लेकर पारदर्शिता स्थापित होती है और आयकर भुगतान को सुनिश्चित किया जाता है।
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