सच्ची अमीरी पैसे में नहीं बल्कि.. सुकरात की फिलॉसफी समझें

09 जुलाई 2025

Images: Shutterstock, Wikipedia

सुकरात का मानना था कि खुशहाल जीवन और समाज के लिए धन से ज्यादा जरूरी है-सद्गुण, ज्ञान और संयम।

सुकरात के आर्थिक विचार

Image: Wikipedia

सुकरात ने कहा कि एक समाज तभी समृद्ध बन सकता है जब उसके लोग न्यायप्रिय, समझदार और साहसी हों। लोगों के आचरण से समाज बेहतर बनता है।

सद्गुण की अहमियत

Image: Shutterstock

सुकरात ने समझाया कि इंसान को अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए। ज्यादा चाहत से असंतोष बढ़ता है और समाज में असमानता आती है।

इच्छाओं पर नियंत्रण

Image: Wikipedia

सुकरात के अनुसार असली अमीरी यह है कि इंसान कम में खुश रहे। जिसके पास बहुत कुछ है लेकिन संतोष नहीं, वह गरीब है। जो थोड़े में खुश है, वही अमीर है।

सच्ची अमीरी क्या है?

Image: Shutterstock

सुकरात ने उन शिक्षकों की निंदा की जो पैसे के लिए ज्ञान बेचते थे। उन्होंने कहा कि असली ज्ञान बिक नहीं सकता। ज्ञान का उद्देश्य पैसा कमाना नहीं है।

पैसे के लिए ज्ञान बेचना गलत

Image: Wikipedia

सुकरात के विचारों ने प्लेटो और अरस्तू जैसे दार्शनिकों को गहरा प्रभावित किया, जिन्होंने समाज और न्याय पर विचारों को आगे बढ़ाया

विचारों का प्रभाव

Image: Shutterstock

सुकरात ने सिखाया कि जीवन में धन से ज्यादा जरूरी है नैतिकता, आत्म-ज्ञान और संयम। यही सच्ची खुशी का रास्ता है।

सुकरात की सीख

Image: Shutterstock

अरस्तू की सीख: जीवन में पैसा जरूरी, लेकिन यह सबकुछ नहीं

अगली स्टोरी पढ़ें

क्लिक करें