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भारतीय रिजर्व बैंक ने FY26 की पहली मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी मीटिंग में रेपो रेट को घटाने का फैसला किया है।
रेपो रेट को 0.25% घटाकर 6% कर दिया गया है जो इस साल फरवरी के बाद ब्याज दर में दूसरी कटौती है।
रेपो रेट घटने से उम्मीद की जाती है कि फ्लोटिंग रेट पर होम लोन लेने वालों को इसका फायदा मिलेगा।
हालांकि, यह शायद जरूरी या इतना आसान ना हो। यहां समझते हैं पूरा मामला…
रेपो रेट या रीपर्चेज अग्रीमेंट वह ब्याज दर है जिस पर RBI कमर्शल बैंकों को सिक्यॉरिटीज के बदले ओवरनाइट कर्ज देता है।
फ्लोटिंग ब्याज दर रेपो रेट जैसे एक्सटर्नल बेंचमार्क से लिंक होती है। यानी रेपो रेट में बदलाव से लोन की दर भी बदलती है।
ज्यादातर बैंक रेपो रेट घटने पर अपनी इंटरेस्ट रीसेट साइकल के हिसाब से ग्राहकों के लिए ब्याज दर घटाते हैं।
हालांकि, ज्यादा फंडिंग कॉस्ट, नेट इंटरेस्ट मार्जिन, NPA जैसे फैक्टर्स की वजह से ऐसा होना जरूरी नहीं है।
इसके अलावा क्रेडिट स्कोर का भी असर ब्याज दर पर पड़ता है। क्रेडिट स्कोर यानी पहले के कर्ज चुकाने का इतिहास।
ज्यादा क्रेडिट स्कोर हो तो बैंक कम ब्याज दर पर कर्ज देते हैं, लेकिन कम है तो ब्याज दर घटने का फायदा मिलना मुश्किल होता है।
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