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सरकारी कर्मचारियों की सैलरी सुधारने के लिए अक्टूबर 2006 में छठा वेतन आयोग बना। इसकी अध्यक्षता जस्टिस बी.एन. श्रीकृष्ण ने की थी।
छठे वेतन आयोग ने मार्च 2008 में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी। इसी रिपोर्ट के आधार पर नई सैलरी प्रणाली लागू की गई।
इस आयोग ने सरकारी कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन ₹2550 से बढ़ाकर ₹7000 प्रति माह तय किया। यह एक बड़ी बढ़ोतरी थी।
नई सैलरी सिस्टम में पे बैंड और ग्रेड पे की शुरुआत हुई। इससे सैलरी ढांचे को सरल और पारदर्शी बनाया गया। प्रमोशन और सैलरी हाइक आसान हो गया।
इस वेतन आयोग ने प्रदर्शन पर आधारित प्रोत्साहन (इनसेंटिव) देने पर जोर दिया, जिससे काम की गुणवत्ता बढ़े।
छठे वेतन आयोग में अधिकतम वेतन ₹80000 प्रति माह रखा गया, जो सचिव स्तर के अधिकारियों को मिलता था।
यह 11.4 हो गया, जिसका मतलब है कि सबसे ऊपर और सबसे नीचे के कर्मचारियों के वेतन में 11.4 गुना का अंतर था।
पे बैंड प्रणाली से सैलरी सिस्टम आसान हुआ। भले ही थोड़ी देरी हुई, लेकिन इसे कर्मचारी के हित में बड़ा सुधार माना गया।
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