4th Pay Commission: कर्मचारियों के वेतन में बड़ा उछाल

20 मई 2025

सभी तस्वीरें: Shutterstock;

सरकार ने जून 1983 में पी.एन. सिंघल की अध्यक्षता में चौथा वेतन आयोग गठित किया, ताकि सरकारी कर्मचारियों के वेतन की समीक्षा हो सके।

1983 में बना चौथा वेतन आयोग

इस आयोग ने अपनी सिफारिशें चार साल में तीन चरणों में दीं, जिनका मकसद वेतन में सुधार और पारदर्शिता लाना था। इससे केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन ढांचे में बड़ा बदलाव आया।

सिफारिशें 3 चरणों में 

इस आयोग ने न्यूनतम वेतन ₹750 प्रतिमाह तय किया और अधिकतम वेतन ₹8000 रखा, जिससे वेतन का अंतर काफी कम हुआ।

न्यूनतम वेतन ₹750 तय

न्यूनतम वेतन तीसरे आयोग के ₹196 से ₹750 हो गया। यानी इसमें 283% की भारी बढ़ोतरी हुई। अधिकतम वेतन ₹3500 से ₹8000 हुआ। 

283% बढ़ी मिनिमम सैलरी 

यह पहला मौका था जब सरकारी वेतन ढांचे में व्यापक और सुनियोजित सुधार किया गया, जिससे सभी स्तरों पर समानता बढ़ी।

पहली बार व्यापक सुधार

आवास भत्ता (HRA) और यात्रा भत्ता (TA) बढ़ाने की भी सिफारिश की गई, जिससे कर्मचारियों को आर्थिक मदद मिली।

भत्तों में बढ़ोतरी की सिफारिश

इस आयोग ने पहली बार प्रदर्शन के आधार पर वेतन (Performance-linked Pay) की व्यवस्था का सुझाव दिया।

प्रदर्शन आधारित वेतन शुरू

कंप्रेशन रेशियो 10.7 रहा, यानी सचिव को मिलने वाला वेतन सबसे निचले कर्मचारी के वेतन से 10.7 गुना था।

कंप्रेशन रेशियो 10.7 रहा

हालांकि इससे वेतन में सुधार हुआ, लेकिन इसे लागू करने में देरी हुई, जिस पर कर्मचारियों और विशेषज्ञों ने नाराज़गी जताई।

देरी पर हुई आलोचना

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