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रघुवर दयाल की अध्यक्षता में 1970 में इसका गठन हुआ, जिसकी रिपोर्ट 1973 में आई। उद्देश्य: सरकारी कर्मचारियों के वेतन की समीक्षा करना।
न्यूनतम वेतन ₹196 और अधिकतम वेतन ₹3500 तय किया गया। महंगाई के असर को कम करने के लिए पहली बार DA (महंगाई भत्ता) जोड़ा गया।
सरकारी और प्राइवेट सेक्टर की सैलरी में फर्क कम करने पर जोर। सभी ग्रुप के कर्मचारियों के बीच सैलरी गैप घटाया गया।
पे स्केल की संख्या 500 से घटाकर सिर्फ 80 की गई। वेतन ढांचा आसान और व्यवस्थित बनाने की कोशिश की गई।
कम्प्रेशन रेशियो 17.9 रहा, यानी सबसे ऊंचे और सबसे नीचे के वेतन में 17.9 गुना का अंतर।
महंगाई भत्ते (Dearness Allowance) की शुरुआत 3rd पे कमीशन की बड़ी उपलब्धि रही। इससे वेतन महंगाई के साथ बदलने लगा।
इस आयोग ने भविष्य के वेतन आयोगों की दिशा तय की। वेतन में नियमित सुधार और पे ढांचे में सरलता की नींव रखी।
3rd पे कमीशन ने कर्मचारियों को राहत दी और वेतन नीति में बड़ा बदलाव लाया। आज भी इसकी सिफारिशों का असर दिखता है।
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