मार्केट न्यूज़
6 min read | अपडेटेड October 26, 2024, 13:08 IST
सारांश
शेयर कैसे खरीदते और बेचते हैं, शेयर मार्केट कैसे काम करता है, इसे समझने से पहले यह समझना जरूरी है कि आखिरी शेयर मार्केट का मतलब क्या है, हम अक्सर सुनते हैं कि स्टॉक मार्केट ऊपर गया, स्टॉक मार्केट नीचे गया, लेकिन इन सब बातों का मतलब क्या है, कैसे इसका असर हमारी रोजमर्रा जिंदगी पर पड़ता? इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि शेयर मार्केट क्या है, इन्वेस्ट करने के लिए क्या चीजें आपको पता होनी चाहिए और भारत में शेयर मार्केट किस तरह से काम करता है।
इंडियन स्टॉक मार्केट का इंट्रोडक्शन
हम लोग अक्सर सुनते हैं, शेयर, स्टॉक मार्केट, या फिर इस तरह की बातें कि स्टॉक मार्केट ऊपर चढ़ गया, लेकिन हम लोगों में से कितने ही लोग हैं, जिन्हें इन सब चीजों के बारे में प्रॉपर जानकारी है? आप अगर किसी बिजनेस चैनल को देखेंगे, तो लगातार आप को इस तरह के शब्द सुनने के लिए मिलेंगे, लेकिन इसके बारे में पूरी जानकारी कम ही लोगों के पास होती है। हमें स्कूल और कॉलेज में इन्वेस्टमेंट और फाइनेंशियल प्लानिंग के बारे में पढ़ाया नहीं जाता है, लेकिन जब आप कॉलेज से बाहर आते हो और कमाना शुरू करते हो, तो धीरे-धीरे आपको इसकी अहमियत समझ में आने लगती है।
क्या होते हैं शेयर?
किसी कंपनी की पूंजी को बनाए रखने, बढ़ाने या फंड रेज़ करने के लिए शेयरों में बांटा जाता है। हर एक शेयर कंपनी की ओनरशिप की एक यूनिट बनाता है और उन लोगों को बेचने के लिए ऑफर किया जाता है, जो कंपनी के लिए पूंजी जुटाने के लिए इन्वेस्ट करना चाहते हैं।
अब कोई किसी कंपनी के शेयर क्यों खरीदेगा? इसका सबसे आसान सा जवाब है कि उसे फ्यूचर में कैपिटल गेन करना है, मतलब अगर कंपनी आगे बढ़ेगी, उसके शेयर प्राइस भी ऊपर जाएंगे और इसका फायदा आपको खुद भी नजर आएगा। आसान भाषा में समझना है तो एकदम सिंपल है कोई भी इंसान किसी कंपनी का शेयर खरीदता है क्योंकि उसे उम्मीद होती है कि कंपनी का बिजनेस बढ़ेगा और उसके शेयरों के रेट में उसी हिसाब से बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। कैपिटल गेन को दो तरह से हासिल किया जा सकता है, या तो कैपिटल इन्वेस्टमेंट से या फिर लाभांश (Dividends) के जरिए।
कितने प्रकार के शेयर होते हैं?
शेयरों को दो तरह से बांटा जा सकता है, पहला इक्विटी और दूसरा प्रिफ्रेंस शेयर इक्विटी शेयरः इक्विटी शेयर शेयरहोल्डर्स को कंपनी में प्रॉफिट साझा करने के साथ-साथ कंपनी की वार्षिक आम बैठक (एनुअल जनरल मीटिंग) में वोट देने का पावर देते हैं। ऐसे शेयरहोल्डर्स को कंपनी के फायदे से फायदा मिलता है, लेकिन कंपनी के होने वाले नुकसान से नुकसान भी उठाना पड़ता है।
प्रिफ्रेंस शेयरः प्रिफ्रेंस शेयर कंपनी की कमाई से केवल एक तय अमाउंट देते हैं, जिसे लाभांश या डिविडेंड कहते हैं। इसके अलावा इसमें शेयरहोल्डर्स के पास किसी तरह की वोटिंग की कोई पावर नहीं होती है।
शेयर, स्टॉक और इक्विटी की शर्तें क्या हैं, वे क्या करते हैं, इसको लेकर काफी बातें क्लियर नहीं हैं। जिस बारे में इसका इस्तेमाल किया गया है उसके अलावा इन शब्दों के बीच कोई खास अंतर नहीं है। जब कोई स्टॉक कहता है तो यह किसी कंपनी के ओनरशिप सर्टिफिकेट को दर्शाता और अगर वह शेयर कहता है तो यह किसी खास कंपनी को दर्शाता है। दूसरी ओर, इक्विटी का मतलब किसी कंपनी में निजी इक्विटी आदि जैसे अलग-अलग रूपों में रखे गए स्टॉक/शेयरों से है।
शेयर मार्केट क्या है?
शेयर मार्केट एक ऐसा प्लैटफॉर्म है जहां शेयर/स्टॉक ट्रेड (खरीदे या बेचे) किए जाते हैं। हालांकि, इस मार्केट में केवल शेयर ही नहीं, बल्कि बॉन्ड, म्यूचुअल फंड और डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स का भी ट्रेड होता है। इसे दो तरह से बांटा गया है, पहला प्राइमरी और दूसरा सेकेंडरी शेयर मार्केट।
प्राइमरी शेयर मार्केट
जब कोई कंपनी अपने शेयर बेचने और फंड इकट्ठा करने के लिए पहली बार खुद को रजिस्टर करती है, तो वह प्राइमरी शेयर मार्केट में एंट्री करती है। इसे इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग या आईपीओ कहा जाता है, जिसके बाद कंपनी पब्लिक हो जाती है और सार्वजनिक रूप से ट्रेड करती है।
सेकेंडरी शेयर मार्केट
सेकेंडरी शेयर मार्केट वह मार्केट है, जहां लिस्टेड कंपनियां स्टॉक का कारोबार करती हैं। एक इन्वेस्टर सेकेंडरी मार्केट में मौजूदा कीमत पर शेयर खरीदता है। यह इन्वेस्टर को अपने सभी शेयर बेचने और मार्केट से एक्जिट का मौका भी देता है।
इंडियन स्टॉक मार्केट का इंट्रोडक्शन
जब हम ग्लोबल इन्वेस्टमेंट मौकों की और मार्केट कैप की बात करते हैं, तो हो सकता है कि इंडिया अभी इस मामले में बहुत कॉम्पटेटिव ना हो, हालांकि ग्रोथ के मामले में इसकी संभावनाएं बहुत बड़ी हैं। इंडियन शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करना कोई बुरा आइडिया नहीं है, बशर्ते आप इसे समझदारी से करें। इंडियन शेयर मार्केट में दो सबसे बेसिक टर्म हैं, जो आपके लिए इन्वेस्टमेंट से पहले समझना बहुत जरूरी है, और वे हैं बीएसई और एनएसई। इंडियन शेयर मार्केट में ट्रेडिंग दो स्टॉक एक्सचेंजों - बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) में होती है। दोनों स्टॉक एक्सचेंज मार्केट में प्रतिद्वंद्वी हैं, हालांकि उनका प्रोसेस ट्रेडिंग मेकानिज्म एक जैसा ही है। भारत की लगभग सभी अहम कंपनियां दोनों एक्सचेंजों पर लिस्टेड हैं। स्पॉट ट्रेडिंग में एनएसई की अहम हिस्सेदारी है और डेरिवेटिव ट्रेडिंग में तो समझिए इसकी मोनोपॉली चलती है। एमसीएक्स (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड) और एनसीडीईएक्स (नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज) भारत के दो कमोडिटी एक्सचेंज हैं।
शेयर मार्केट कैसे काम करता है?
कई लोगों को शेयर मार्केट काफी डरावना, कॉम्प्लेक्स लगता है जिसे समझा नहीं जा सकता। लेकिन यहां कुछ बुनियादी बातें हैं जो उस सोच को बदल सकती है। कोई भी कंपनी अपनी पूंजी बढ़ाने के लिए या फिर फंड इकट्ठा करने के लिए प्राइमरी या सेकेंडरी शेयर मार्केट में लिस्ट कराई जाती है। कंपनी को अपने बिजनेस, फाइनेंशियल स्टेटस और जारी किए जा रहे स्टॉक (आईपीओ) के बारे में जानकारी देनी होती है। एक बार लिस्ट होने के बाद, जारी किए गए स्टॉक का इन्वेस्टर्स द्वारा सेकेंडरी मार्केट में कारोबार किया जा सकता है। यहीं पर ज्यादातर ट्रे़डिंग होती है। शेयर मार्केट में खरीदार (Buyer) और विक्रेता (Seller) प्रॉफिट कमाने, या नुकसान को कम करने के लिए ट्रेड करने के लिए इकट्ठा होते हैं। हालाकि, हजारों इन्वेस्टर्स हैं, और इसका दायरा बढ़ाने के लिए हमारे पास स्टॉक ब्रोकर हैं जो बिचौलिए की तरह काम करते हैं। वे एक्सचेंज को ऑर्डर भेजते हैं। एक्सचेंज को एक सेलर मिल जाता है, जिसके बाद पुष्टि ब्रोकर को वापस भेज दी जाती है और ब्रोकर आखिरकार आपके खातों को डेबिट/क्रेडिट करता है। जब भी ट्रेड होता है, शेयर की कीमतें बदलती रहती हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि शेयरों की कीमतें, किसी भी अन्य सामान की तरह, प्रिडिक्टेड प्राइस पर निर्भर होती हैं। यह समझ लीजिए शेयर की मांग से जुड़ा है, अगर मांग ज्यादा होती है तो शेयर प्राइस बढ़ता है और अगर मांग कम होती है तो शेयर का दाम कम होता है।
यह कुछ इस तरह से काम करता है- 1- एक ऑर्डर दिया गया 2- ब्रोकर उस ऑर्डर की डिटेल्स एक्सचेंज को भेजता है 3- एक्सचेंज सेलर ढूंढ़ता है और कनफर्म करता है 4- एक्सचेंज फिर ब्रोकर को ऑर्डर कनफर्म करता है 5- ट्रेडिंग हो जाती है, बेचने वाले को बायर मिल गया और खरीदने वाले को सेलर
यह लगभग Flipkart और Myntra में ऑर्डर देने जैसा लगता है। खैर, यह आपके लिए बेसिक प्रोसेस है। शेयर मार्केट पहली बार में कॉम्प्लेक्स लग सकता है। हालांकि, यह जानना जरूरी है कि यह क्या है और यह कैसे काम करता है, क्योंकि हम सभी का कॉमन गोल है और वह यह है कि सफल फाइनेंशियल प्लानिंग से चलें। जब आप समझ जाएंगे कि यह सब क्या है तो शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने में आपको जोखिम कुछ हद तक कम लग सकता है।
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