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सिल्वर ने 2025 में धमाकेदार रिटर्न दिया है। यह अब तक 56% उछलकर $44/औंस या ₹1,34,089/किलो पर पहुंच गई है। यह 10 साल का सबसे अधिक सालाना रिटर्न है।
चांदी ने सोने से भी बेहतर प्रदर्शन किया है। सोना अब तक 49% बढ़कर ₹113129/10 ग्राम पर है। 2016 के बाद सिल्वर ने सबसे तगड़ा उछाल दिया है।
2021 के बाद से सिल्वर की मांग तेजी से बढ़ी। इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल सोलर पैनल, इलेक्ट्रिक गाड़ियां और इलेक्ट्रॉनिक सामान में हो रहा है।
2024 में कुल मांग 1164.1Moz रही, जबकि आपूर्ति सिर्फ 1015.1Moz थी। यानी 148.9Moz की भारी कमी ने दाम को और ऊपर धकेला।
चांदी की इन्वेंट्री घट रही है। 2020 में चांदी का स्टॉक 22 महीने की खपत के बराबर था, वह 2023 तक घटकर सिर्फ 13 महीने रह गया। इस वजह से कीमतें और चढ़ीं।
गोल्ड-टू-सिल्वर रेश्यो 84 है। मतलब सोने के मुकाबले चांदी अभी भी सस्ती है। एक्सपर्ट्स इसे निवेश के लिए ज्यादा आकर्षक मान रहे हैं।
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि चांदी ₹150000/किलो तक जा सकती है। इसका $50/औंस से ऊपर जाना संभव है। हल्की गिरावट आती है तो यह खरीदारी का मौका होगा।
अगर इस रफ्तार से डिमांड जारी रही तो 2050 तक चांदी के भंडार खत्म हो सकते हैं। चांदी अब सिर्फ सुरक्षित निवेश नहीं बल्कि इंडस्ट्रियल पावरहाउस बन गई है।
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