भारत की न्यूक्लियर पावर का जरिया,
कहां मिलते हैं यूरेनियम, थोरियम?

16 मई 2025

तस्वीर: Shutterstock

भारत का लक्ष्य है साल 2047 तक अपनी न्यूक्लियर पावर क्षमता को 100 GW तक पहुंचाने का ताकि जीवाश्म ईंधनों के ऊपर निर्भरता को कम किया जा सके।

तस्वीर: Shutterstock

हमारे जंगी जहाजों के बेड़े में शामिल INS अरिहंत क्लास की पनडुब्बियां भी परमाणु ऊर्जा पर आधारित हैं जो इन्हें और तेज बनाता है।

तस्वीर (प्रतीकात्मक): Shutterstock

मौजूदा टेक्नॉलजी न्यूक्लियर फिशन रिऐक्शन पर आधारित है जिसमें एक न्यूक्लियस के छोटे-छोटे हिस्सों में टूटने पर जो एनर्जी रिलीज होती है, उससे बिजली पैदा होती है।

तस्वीर: eia.gov

ये न्यूक्लियस जिस ईंधन का होता है उसमें सबसे अहम है यूरेनियम और थोरियम। भारत में यूरेनियम को ज्यादातर इंपोर्ट किया जाता है जबकि थोरियम पर्याप्त मात्रा में मौजूद है।

तस्वीर: cdc.gov 

हमारे देश की खदानों से 78 हजार टन यूरेनियम मेटल और 5.18 लाख टन थोरियम का एक्सट्रैक्शन हो सकता है।

तस्वीर: usgs.gov

भारत की सबसे पुरानी जाडूगोडा खदान (झारखंड) में यूरेनियम के ताजे डिपॉजिट की खोज के साथ आने वाले 50 साल तक के लिए इस ईंधन की उपलब्धता बढ़ गई है। 

तस्वीर: Shutterstock

सिंघभूम थ्रस्ट बेल्ट में आने वाले जाडूगोडा में यूरेनियम की खोज 1951 में हुई थी। इसका खनन और प्रोसेसिंग 1968 में शुरू हुई।

तस्वीर: usgs.gov

इसके बाद इस बेल्ट के भाटिन, मोहुलडीह, बागजाता, नीमडीह, नानडुप जैसे इलाकों से भी अलग-अलग ग्रेड के डिपॉजिट पाए गए।

तस्वीर: usgs.gov

आंध्र प्रदेश के कुडप्पा बेसिन में लंबापुर-पेड्डागट्टू, कुप्पुनुरी से लेकर मेघालय के महादेक बेसिन और राजस्थान, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में भी इसकी खोज हुई।

तस्वीर: Shutterstock

इतने रिजर्व होने के बावजूद हम इसके आयात पर निर्भर हैं क्योंकि इसकी क्वॉलिटी बहुत अच्छी नहीं है और इसका एनरिचमेंट करने में टेक्नॉलजी से लेकर अंतरराष्ट्रीय मानकों तक कई बंदिशें हैं।

तस्वीर: energy.gov

ऐसे में अहम होता है थोरियम जो डॉ. होमी जहांगीर भाभा के बनाए न्यूक्लियर प्रोग्राम के तीसरे चरण में आता है। थोरियम को यूरेनियम में बदलकर ईंधन के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।

तस्वीर: Shutterstock

भारत के पास दुनियाभर के थोरियम का सबसे ज्यादा 21% रिजर्व मौजूद है और इसके इस्तेमाल से ऊर्जा उत्पादन विकसित करने के लिए भारत में प्रॉजेक्ट ‘भवानी’ चल रहा है।

तस्वीर: geology.arkansas.gov 

केरल और ओडिशा के तटों पर मोनाजाइट रेत में देश के थोरियम का 70% हिस्सा है। 

तस्वीर: BARC

थोरियम की खास बात ये है कि इससे ऊर्जा भी ज्यादा निकलती है और कचरे का खतरा भी कम होता है।

तस्वीर: cancer.gov

सोना या प्लैटिनम नहीं, ये है दुनिया का सबसे बेशकीमती मेटल

अगली स्टोरी देखें-

क्लिक करें